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चल लेखनी

चल लेखनी लिखते हैं या, कुछ ऐसा खास, लम्हा लम्हा वक़्त गुजरेगा,वर्तमान बन जाएगा इतिहास।। कतरा कतरा बीत रही ज़िंदगानी हर जीवन की अपनी कहानी हर कहानी का अपना ही किरदार हर किरदार अपने कर्म का खुद जिम्मेदार, मेहनत की स्याही से भाग्य की बदल देते हैं जो रेखा, ऐसे खुशकिस्मत लोगों को कम ही जीवन मे है देखा।।

दे साथ लेखनी

**दे साथ लेखनी**  आज कुछ गोविंद का करेंगे दिल से बखान। पुनरोदय हो फिर से मेरे देस का, बने फिर से मेरा भारत महान।। नारी जाति की रक्षा हेतु, जैसे कान्हा आगे बढ़ कर आये। ऐसी भावना पैदा हो जाये गर समाज मे,मेरा समाज फिर स्वर्ग बन जाये। धर्म की रक्षा के लिए,दुष्टों के विनाश के लिए,साधु लोगों के भले के लिए,जो जो किया कृष्ण ने,है हम सब को आभास। शायद यही कारण है इतिहास में,कान्हा का व्यक्तित्व सूरज की भांति है बड़ा खास।। साहित्य के आदित्य से जगत में आलोक का आगमन होगा। कान्हा के जीवन करेगा मार्गदर्शन सबका,हर सवेरा फिर सुंदर होगा।।