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प्रशादम(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

योगक्षेम(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

यो--गदान है निगम का समाज को ऐसा,जैसे कर रहा हो जनकल्याण ग---रिमा अपनी रखी बनाई बरसों से,हर समस्या का खोजा समाधान क्षे--त्र नही कोई भी ऐसा, जहाँ छाया न हो निगम महान म---जबूत हौसला,बुलंद इरादे,नवीनीकरण परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपना कर, बन गया जन जन के लिए वरदान।।

जनकल्याण

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