Skip to main content

Posts

Showing posts with the label होती है मां

सर्वोटम कृति

सबसे पहला शिक्षक

शिक्षक दिवस विशेषांक,,,,,सबसे पहला शिक्षक जीवन में माँ होती है,माँ ऐसा शिक्षक है जो हम से जुड़ने के बाद ताउम्र नाता नही तोड़ता,माँ ज़िन्दगी के पाठ अनुभवों की स्याहीसे मानसपटल में अंकित करा देती है,माँ सारी शिक्षा बिना फीस के कराती है,लेती नही देती रहती है,पर इसे विडंबना कहे या दुर्भाग्य हम इन पाठों को देखते तक नही,माँ तो पूरा जोर लगा देती है,ताउम्र सिखाने वाली माँ को हम गुरुदक्षिणा में क्या देते है,विचार कीजिये।।जिंदगी के एक मोड़ पर तो हम बात करने से भी बचते हैं। उसे मात्र हमारे कुछ लम्हे और मधुर से बोल ही चाहिए और कुछ नहीं,कुछ भी तो नहीं।।   स्नेह प्रेमचंद

किताब ऐसी

माँ एक ऐसी किताब है, जिसका हर पन्ना आसानी से  समझ आ जाता है। माँ ऐसी कविता है, जो सब गा सकते हैं। माँ ऐसी कहानी है, जो रोचक ,ममतापूर्ण और पूर्ण है। माँ एक ऐसा पाठ है, जो ज़िन्दगी की  पाठशाला में सबसे पहले पढते हैं, और ताउम्र चलता है। माँ ऐसा साहित्य है, जिसके आदित्य की रोशनी से सारा जग नहाया है। जिसे पूरा संसार पढ़ता है, जो हर युग,हर काल मे प्रासंगिक है। यह साहित्य समयातीत है।