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सपने

सपने

,बिन मिले ही

बेगाने

कटाक्ष

जेहन मे आए

धुआं धुआं

मतभेद बेशक हो,पर मनभेद नहीं (थॉट बाय स्नेह प्रेमचंद)

सांझ ढले

मांझी (Thought by Sneh premchand)

दूर गगन

दूर गगन में जब कुछ अधिक ही  चमक रहे हों  चंदा तारे, समझ लेना कोई बहुत ही  अपने हैं ये सारे।।