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आसान और मुश्किल

कमी निकालना आसान है गुण देखना मुश्किल शिकायत करना आसान है शुक्रिया करना मुश्किल शोर करना आसान है मौन रहना मुश्किल कहना बहुत आसान है करना बहुत मुश्किल राय देना आसान है खुद अमल में लाना मुश्किल क्रिया की प्रतिक्रिया करना आसान है पर खामोश रहना मुश्किल संकल्प करना आसान है उसे सिद्धि से मिलाना मुश्किल सपने देखना आसान है उन्हें हकीकत में बदलना मुश्किल कटु बोलना आसान है मधुर वाणी बोलना मुश्किल इनमे से किसी को किसी किसी को किसी बात का होता है आभास पर तुझे तो इल्म था हर बात का मां जाई! इसलिए थी तूं अति अति खास

मोह और प्रेम(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

जिंदगी के एक मोड़ पर प्रेम और मोह  दोनों मिल जाते हैं करते हैं कुछ ऐसी बातें,जो हमे दोनों के मायने समझाते हैं मोह ने अपना परिचय दिया कुछ ऐसा शब्दों के आईने में अक्स कुछ ऐसे नजर आते हैं मोह मोह के धागों का उलझा उलझा सा है ताना बाना,जहां सहजता नहीं,स्नेह और स्पेस नहीं,एक जबरन की आसक्ति है,जहां समर्पण नहीं,एकाधिकार की लालसा है,क्रिया की प्रतिक्रिया की अपेक्षाएं हैं,चाहत तो है मगर भाव गहरे नहीं, मोह तो एक कुआं है, तालाब है प्रेम जैसा अनंत सागर नहीं,मोहग्रस्त व्यक्ति को जब एक नजर आता है फिर वो सारा संसार भूल जाता है,उसका नजरिया पूर्वाग्रह से ग्रस्त होता है,सीमा में बंधा स्नेह मोह है,मोह संकुचित है, प्रेम विस्तृत मोह सम्मोहन है प्रेम सुखद सम्पूर्ण अहसास मोह प्रयास है प्रेम प्रभाव मोह बंधन है प्रेम विस्तार मोह अक्सर अहम की ढपली बजाता है प्रेम व्यामंका अनहद नाद मोह कृत्रिम है मोह उत्तेजना है  प्रेम प्राकृतिक,सहज,सरल,मधुर, आत्मिक *प्रेम तो वह सागर है जिसमे पूरा  ब्रह्माण्ड समाहित हो जाता है,प्रेम प्राप्ति नहीं प्रेम अहसास है, प्रेम  समर्पण है प्रेम दोस्ती है प्रेम की एक शर्त है सम्मान और स्पेस

मलाल और दुख

मलाल ने एक दिन कहा दुःख से,मुझ में और तुझ में क्या भेद है,आज मुझे तुम ये बतलाओ,क्यों समझ नही पाते लोग अंतर हमारा,आज मुझे ये अंतर समझाओ,दुःख ने कहा,सुनो बंधु, खो देते हैं जब हम अपनी कोई नायाब सी चीज,तब लोगों को मेरी अनुभूति होती है,मोह है कारण मेरा,ज्ञान की कमी यहां पर होती है,अब तुम दो मुझे परिचय अपना,बताओ क्या मतलब होता है मलाल का,क्यों पछतावे की गंध तुझ में होती है,मलाल से भर कर जब बोला मलाल तो दुःख को मायने मलाल के समझ में आ गए,क्यों मलाल है मलाल, क्यों दुःख के बादल उसपर छा गये,मेरा परिचय है काश,काश मैं यह कर लेता,काश में वो कर लेता, काश मैं दो मीठे बोल बोल लेता,आत्ममंथन होता है जब जन्म मेरा हो जाता है,मेरे जन्म की देरी के कारण इंसा चैन नही  पाता है,मेरा परिचय है,कर सकता था,पर किया नही,मेरा स्वरूप बड़ा विचित्र है,काश मैं समय,समर्पण ,धन से मदद कर देता,यह हूँ मैं, मैं ताउम्र नही मिट पाता, व्यक्ति के  साथ ताउम्र रहता हूँ,यही मेरी सज़ा है,दुःख तुम्हे कम किया जा सकता है,पर मुझे नही

show must go on (Thought by Sneh premchand)

Poem on human emotions by sneh premchand

पसन्द और प्रेम में क्या अंतर है।जो पसन्द हो,उसे हम पाना चाहते हैं,जिससे प्रेम हो,उसे हम देना चाहते हैं।जैसे माँ बाप को बच्चों से प्रेम होता है,उन्हें देने में आनंद आता है,बच्चों को लेने में।     स्नेह प्रेमचंद

चिंता thought by snehpremchand

अपेक्षाओं और वास्तविकता का अंतर ही चिंता का कारण होता है, कम अपेक्षाएं,कम चिंता,इंसा चैन की निंदिया सोता है।।             स्नेहप्रेमचंद