सुविचार,,,,,ख़ुशी नही मिलती भीतर से,ख़ुशी है भीतर का अहसास,कोई तो कुटिया में भी खुश है,किसी को महल भी नही आते रास,एक इच्छा पूरी होने पर जन्म ले लेती है दूसरी इच्छा,भीतर से हम हो जाते है उदास,धन दौलत नही पैमाना खुशियों का,कर सकती है ख़ुशी निर्धन के घर भी वास