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बहन भी दे सकती है मां जैसा प्यार(Thought by Sneh premchand)

बहन भी दे सकती है, मां जैसा अनमोल सा प्यार। स्नेह सीमेंट से भर देती है, आ जाती है वजूद मे गर कोई भी दरार।। खुली किताब से,खुल जाते हैं,  हम संग बहन के, न कोई ईर्ष्या,न द्वेष कोई,न कोई विकार,न अहंकार।। एक ही मात पिता, एक जैसे ही परिवेश से ज़िन्दगी के अध्याय शुरू होते हैं। बाद में बेशक बदल जाती हैं कहानियां, पर विविध होते हुए भी एक ही होते हैं।। मेहंदी वर्ण सा गाढ़ा होता रहता है ये नाता, दिनोदिन होता है इसमें परिष्कार। साथ एक दूजे का जैसे कर देता है जीर्णोद्वार।। छंट जाते हैं सारे धुंध कुहासे, नील गगन देता असीम ऊंचाइयों को आकार।। एक बात आती है समझ में, बहन का बहन से होता है प्रेम बेशुमार।। बहन ही तो है वो नाता, जो एक दूजे के सुख दुख में होती हैं शुमार।। सच मे मा जैसी होती है बहन, होती प्रेम का अथाह भंडार।। परम हितैषी,परम प्रिय है वो, दो,एक दूजे को समय का उपहार।। खूबसूरत लम्हे हैं ज़िन्दगी की अनमोल धरोहर, हो उनसे ही हमे सरोकार।। अल्फाजों से गर होती दोस्ती, बता पाती प्रेम ही हर रिश्ते का आधार।। खोई मां मिल जाती है बहन में, कर लेना उसमे ही मां के सुंदर दीदार।। शब्दों