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यही राखी है (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*** यही राखी है*** *कच्चे हों धागे पर पक्का हो बंधन*यही राखी है। *मतभेद बेशक हो जाए पर मनभेद ना हो* यही राखी है।। **जगह से बेशक दूर हो पर दिल से सदा भाई बहन पास हो**यही राखी है।। **छोटी छोटी बातों पर खूब हंसे और हंसाएं,चित चिंता, बातों से ही दूर कर जाएं,एक दूजे को सहज बनाएं,जिंदगी के रंगमंच पर अपना किरदार दमदार निभाएं**यही राखी है।।  **हर तीज त्यौहार पर बेशक भाई बहन ना मिल पाए पर किसी कष्ट की घड़ी में एक दूजे के संग खड़े हों**यही राखी है। **मैं हूं ना** इससे बेहतर कोई उपहार नहीं, जब यह बात दोनों को समझ में आ जाए** यही राखी है।।  **जिंदगी के हर मोड़ पर जरूरत पड़ने पर संग खड़े नजर आए**यही राखी है।।  **एक दूसरे को एक दूसरे के गुण दोषों के साथ अपनाएं**यही राखी है। **एक दूसरे की शक्ति बने कमजोरी नहीं,जब इस भाव की सुनामी चित में प्रबल हो जाए**यही राखी है।। ** सराहना के साथ-साथ आलोचना को भी सुन सकें**यही राखी है। **एक दूजे की प्रतिभा को सराहें, जरूरत के वक्त नजर ना चुराएं,यही राखी है।।  **मित्र भाव को कभी ना छोड़े** यही राखी है! ""नाता कोई भी हो,स्नेह से