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मां सबसे मीठी लोरी गाती है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

*जिंदगी की किताब के  हर किर्तास  पर नजर  तूं ही तूं तो आती है* ऐसे समाई है जेहन में मां तूं, *जैसे एक सांस आती है एक सांस जाती है* *सेहरा में ठंडक सी मां* *शादी में शहनाई सी मां* *बसंत में आम की अमराई सी मां* *दिल में धड़कन सी मां* *सुर में सरगम सी मां* जिंदगी के हर मोड़ पर याद हमे आती है।। एक मां के ना होने से, सहजता चित से दामन चुराती है *भूख अगर हमें लगती है तो मां तत्क्षण रोटी बन जाती है* पहली बारिश के बाद माटी की  सौंधी खुशबू सी मां, जग में सबसे मीठी लोरी गाती है।। मैने भगवान को तो नहीं देखा, पर जब जब देखा मां की ओर, मां ईश्वर के समकक्ष ही नजर मुझे आती है।।