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ऐसे ही तो हैं thought by sneh premchand

नर में नारायण जैसा, ग्रंथों में रामायण जैसा, हीरों में कोहेनूर जैसा, हाला में सरूर जैसा, सीपमुख में मोती जैसा, नयनों में ज्योति जैसा, गगन में आदित्य जैसा, पढ़ने में साहित्य जैसा, पंखों में परवाज़ जैसा कंठ में आवाज़ जैसा, संगीत में सॉज जैसा, नारी में लाज जैसा, इंदु में शीतलता जैसा, नीर में तरलता जैसा, सुमन में महक जैसा, चिड़िया में चहक जैसा, प्रकृति में   हरियाली जैसा, त्यौहारों में दीवाली जैसा, गन्ने में मिठास जैसा, दीये में प्रकाश जैसा, आम में अमराई जैसा, सागर में गहराई जैसा, ज्ञान में गीता जैसा, मिथिला में सीता जैसा, मन्दिर में मूरत जैसा, प्रतिबिम्ब में सूरत जैसा, हृदय में धड़कन जैसा, गीत में सरगम जैसा, सुरों में ताल जैसा, भावों में प्रेम जैसा, महाभारत में माधव जैसा, मानस में राघव जैसा, माँ में अनुराग जैसा, योगी में विराग जैसा, चेतना में स्पंदन जैसा, प्रार्थना में वंदन जैसा, प्रतिबद्धता में प्रयास जैसा, प्रगति में विकास जैसा, किताब में अल्फ़ाज़ जैसा, परंपरा में रिवाज़ जैसा, संकल्प में हनुमान जैसा, संयम में श्री