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महासमर poem by snehpremchand

महासमर की इस बेला में,एक ऐसा महायोद्धा उभर कर आया है। जग रूपी इस अर्जुन को,  दे रहा  ज्ञान माधव सा, वो सयंम से सुरक्षा लाया है।। त्याग,तप और साहस को जीवनाधार बनाया है।। एक सन्देस दिया है उसने, लांघे न सब अपने घर द्वार। सामाजिक दूरी सब सहजता से निभाएं, ज़िन्दगी मौत से न जाए हार।। जान है तो जहान है,जन जन को अवगत करवाया है। माना झेलनी पड़ेगी आर्थिक मंदी, धन से कीमती जीवन है,सबको अहसास कराया है। ज़िन्दगी रहेगी तो धनोपार्जन भी कर लेंगे, प्राथमिकताओं का दायरा बड़ा ही सटीक बनाया है।। अपनी सूझ बूझ और समझदारी से जग में परचम लहराया है। अपना ही नहीं,ध्यान रख जग का,सर्वे भवंतु का सन्देसा लाया है।। जंग ही नहीं जीती है, इस वैश्विक महामारी से,भरोसा और स्नेह लोगों का उसने पाया है। कभी थाली,कभी घण्टी , कभी दीया, पूरे वतन    ने जलाया है। जब भी किया आह्वान उसने, पूरा वतन एकतासूत्र में बंध आया है।। विपक्ष भी है कायल जिसका, सबका मुस्तकविल उसने सुनहरा बनाया है। महासमर की इस बेला में एक ऐसा योद्धा उभर कर आया है। कैसे लड़ना है इस वैश्विक महामारी से,ये पाठ बखूबी पढ़ाया है।। डॉक्टर्स,नर्सिंग स्टाफ,पुलिसकर्मी,सफाईकर्म