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कच्चे धागे पक्का बंधन(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*कच्चे धागे पर पक्का बंधन ऐसा राखी का पावन त्योहार* *रक्षा बंधन के पावन पर्व का, प्रेम ही होता है आधार* *कभी इकरार,कभी तकरार* *बस आए ना दिलों में कोई दरार* *खट्टा,मीठा प्यारा सा नाता न पनपे चित में कोई विकार* *दूर नजर से हो बहना पर दिल से दूर नहीं होती* *शायद ही कोई सांझ हो ऐसी जब याद नहीं दिल में होती* *मांअक्स नजर आता है बहन में, दिल से जुड़े हैं दिल के तार* *रक्षा बंधन के पावन पर्व का प्रेम ही होता है आधार* *समय संग जीवन में कई उतार चढ़ाव भी आते हैं* *कभी ये रिश्ते सुस्ता जाते हैं, कभी खुल कर मुस्कुराते हैं* *संवाद खत्म न हो बस इस नाते में, फिर संबंध नहीं होता कभी ज़ार ज़ार* *रक्षा बंधन के पावन पर्व का प्रेम ही होता है आधार* *नए रिश्तों के नए भंवर में उलझ उलझ सी जाती है बहना* *पर भाई ना भूले अपने फर्ज को होती है वो तो सच्चा गहना* *जज ना करना कभी इस नाते को वरना जीत कर भी जाओगे हार* *हालात सभी के जुदा जुदा हैं प्रेम है चित में मगर बेशुमार* *कच्चे धागे पर पक्का बंधन ऐसा राखी का पावन त्योहार* *जीवन के सफर में सबसे लंबा नाता होता है बहन और भाई का* *कितना अच्छा हो*  कभी फोन स