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मां से ही

ज़िक्र ए जेहन thought by sneh premchand

ससुराल चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, मायका कभी भी भुलाया नहीं जाता। शायद ही कोई भोर सांझ होगी ऐसी, जब जिक्र जेहन में उसका नहीं आता।।        स्नेह प्रेमचंद