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शिव ही सत्य,शिव ही सुंदर

शिव ही सत्य,शिव ही सुंदर, शिव सृष्टि के पालनहार। एक धरा है,एक गगन है, एक ही सबका सृजन कार।। एक प्रकृति,एक सृष्टि, एक ओम है एक ओंकार। एक चन्द्र है एक रवि है, एक ही तो है ये पूरा संसार।। रूप में बिंदु,गुणों में सिंधु, परमपिता हमारे भोलेनाथ। ज्योतिस्वरूप शिव प्रेम का सागर, रहे सिर पर सदा हमारे हाथ।। असत्य अधर्म और पापाचार। नही होते भोले को स्वीकार।। शिव गरिमा, शिव महिमा,शिव ज्ञान का भंडार हैं। शिव संकल्प,शिव सिद्धि, शिव कृपा का विस्तार हैं।। शिव अनुभूति,शिव अभिव्यक्ति,शिव ही अहसास हैं। शिव अनादि, शिव अनन्त, शिव धरा,आकाश हैं।। शिव धीरज, शिव संयम, शिव तप और त्याग हैं। शिव संतोषी, शिव आक्रोशी, शिव ही अनुराग हैं।। शिव आत्मा,शिव परमात्मा,शिव साकार शिव निराकार है। शिव सूक्ष्म बिंदु,शिव ही ब्रह्मांड, शिव सतह, शिव ही आधार है।। शिव दिन, शिव रात, शिव साँझ, भोर है। शिव चेतना ,शिव स्पंदन, शिव शांति,  शिव मधुर सा शोर है।। शिव लय, शिव गति,शिव ही तो ताल है। शिव पल ,शिव लम्हे,शिव दिन महीने साल है।। शिव काल, शिव कला, शिव तीर्थ धाम है। शिव ध्वनि, शिव सरगम, शिव साधना का नाम है।। शिव तप, शिव त्याग, शिव राग,