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सुन मेरी सखी

सुन मेरी सखी

सखी री

दीए माटी के ही अंगना जलाना

हर खुशी मिले तुझे wish on birthday

आज जन्मदिन है जिनका,आए उनके जीवन मे सदा बहार, करते थे,करते हैं, करते रहेंगे सदा इनसे प्यार, मेरे घर आई एक नन्ही कली,बचपन मे एक नगमा अक्सर गुनगुनाती थी, सच मे मेरी सखी एक कली हो तो थी,जो सच मे जाने कहाँ से मेरे घर मे दौड़ी चली आती थी, समय का ऐसा घूमा पहिया,हौले हौले अहसासों में सखी समाई थी, सुख हो या फिर दुख की बेला, वो कब नही घर मेरे आई थी। रोज़ मिलन की कशिश थी मन मे,आने से उसके समा में बहारें आई थी, बेशक जगह से दूर हुए हैं, पर मन का एक कोना घर उसके छोड़ कर आई हूं, प्यारी बिटिया,सखी,सहेली मेरी,एक तोहफा दुआओं का तेरे लिए मैं लाई हूँ, एक पीहर और भी है तुम्हारा,यही समझ लेना उपहार, खुशियां दे दस्तक सदा चौखट पर तुम्हारी,हों सपनो में भी तेरे दीदार।। आज जन्मदिन है जिनका,आए उनके जीवन मे सदा बहार, बेहक वक़्त के पहिये ने कर दिया जुदा हमको,पर मन मे मिलन का आज भी रहता है इंतज़ार, आने से जिसके आए बहार, गाती थी ये नगमा मैं जिसके लिए बारम्बार, जिससे मिलना ही होता था पर्व,उत्सव,तीज,त्योहार, एक दुआ है लाड़ो आज के रोज़,ज़िन्दगी करे तेरी सदा प्रेम का श्रृंगार, तुझसे रिश्ता है इतना गहरा,मुलाक़ातें ही ब

आंसू

पोंछ लो आंसू सखी द्रौपदी,तुमने बुलाया मैं दौड़ा चला आता हूँ।।।। जब जब होती है हानि धर्म की, मैं यूँ ही चल, आ जाता हूं । नारी रक्षा तो फिर धर्म है सबका, जो हुआ आज,सोच सन्न हो जाता हूँ।। हुआ कलंकित इतिहास आज है। कोई नए युग का आज हुआ आगाज़ है।। हर कोई है अपराधी तेरा, पर मैं  तेरी लाज बचाता हूँ।। तेरे समर्पण में थी वो ताकत, कि मैं दौड़ा चला आता हूँ।।। युग आएंगे,युग जाएंगे तेरी व्यथा न जन भुला पाएंगे।। तेरा चीर बढ़ा कर मैं, अंधेरे में विश्वास का दीप जलाता हूँ।। पोंछ लो आँसू, सखी द्रौपदी, तुमने बुलाया,मैं दौड़ा चला आता हूँ।।