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Showing posts from January, 2021

लम्हा दर लम्हा गुज़रा

कब बीते बरस 26 Thought by Sneh premchand

उपहार मात्र होता नहीं केवल उपहार। जाने कितने ही एहसासों का होता है  सुंदर सा हार।। जाने कितनी ही मधुर यादों को कर देता है झंकृत, जाने कितने ही अदभुत लम्हों का सुनहरी यादों से कर देता है श्रृंगार।। मैं न भूलूंगी, मैं न भूलूंगी, मिठास इस केक की, जेहन में रहेगी  ताउम्र बरकरार।। कुछ एहसासों के लिए अल्फ़ाज़ पड़ जाते हैं छोटे, भावों को हर बार सही से मिल नहीं पाता इज़हार।। प्रेम मापने का बना ही नहीं कोई ऐसा पैमाना, जो बता पाती, है, कितना ओ बहना है,तुझ से प्यार।। लगती है तुझे चोट वहां,मुझे दर्द यहां पर होता है। हर मंज़र हो जाता है धुंधला,अवरुद्ध कंठ  कुछ  कहने को रोता है।। एक दुआ यही है रब से,तुझे फूलों को छांव मिले, तेरे घर आंगन में हो सदा सुख शांति, सहजता तेरे सजदे मे खिले।।       स्नेह प्रेमचंद

प्रेम,सहजता,भरोसा और विश्वास thought by Sneh premchand

प्रेम,सहजता,भरोसा और विश्वास। यही बनाती हैं जीवन को ख़ास।। इन सब से ओत प्रोत हो गर जीवनसाथी, हर दिन उत्सव है बिन प्रयास।। किसी ख़ास दिन का मोहताज नही होता जश्न फिर, पल पल जश्न का होता है आगाज़।। माँ बाप और जीवनसाथी, सजता है इनसे जीवन का साज।। रहे सदा सजा ये साज प्रीतम, बस आती है दिल से यही आवाज़।। इतना तो यकीन है मुझे, हूं पंख मैं,तो तुम हो परवाज़।। हर चित चिंता हो जाती है दूर साथी मैं कंठ तो तुम आवाज़।। हमसफ़र को  सौंप कर बेफिक्र से हो जाते हैं मां बाबुल भी, ये तो जैसे बन ही गया है रिवाज़।। प्रेम दीप मे प्रेम ज्योत से जलते रहना इसी परम्परा का करना आगाज़।।

आधुनिकता के ये नहीं पैमाने

साबरमती के संत thought by Sneh premchand

नफरत नहीं प्रेम

NAFRAT KI NHI CHDEIN PREM KI SIDHI PER,GANDHI JI NE MANAVTA KO SIKHAYA SWAVLAMBAN APNAYEIN,SWABHIMAN JGAYEIN,SATYA KE BAL PER SABKO MANVAYA APRIGRAH APNAYEIN,KREIN AHINSA KA PALAN,JHUTH SE SDA HI NATA TODEIN IMANDARI KI KAVAD MEIN BHREIN MEHNAT KA JAL,KARTAVY SE KBHI MUH NA MODEIN     agar ham yeh apna lein to aaz unke balidan diwas per sachi shrdhanjli hogi

राजकुमारी

हर बिटिया पापा की होती है सदा ही राजकुमारी। महफूज़ और खुश होती है वो सदा पिता के साए तले,जान चुकी दुनिया सारी।।

मासूम सा बचपन

बचपन सबसे खूबसूरत दौर है जीवन का, न कोई चित चिंता न ही कोई ज़िम्मेदारी। हर कली महफूज़ रहे,निर्भय हो, समझने की आ गई है बारी।।

mighter

दूरियां

कुछ तो

लय,गति,ताल

action speaks

चित्रकार

एक जैसे

किरदार

निसार

इल्ज़ाम

निर्मल

निर्मल मन

एक मां

काश

नहीं पैमाने

कावड़ प्रेम की

जब भी

रैन बसेरा

कर्म

फिर दस्तक दी है भोर ने

नहीं ताकत इतनी शब्दों में

शाख से अलग

दे दो समय

सांझ होते ही

सांझहोते ही  माँ याद आ जाती है पश्चिम में डूबते सूरज की लालिमा जैसे दया सी हम पर खाती है गोधूलि की इस बेला में उड़ती धूल जैसे मन के भाव दिखाती है डोर से उतारते सूखे कपड़ो को मानो कोई ललना यूँ ही भर ले जाती है पंछी लौटते हैं अपने अपने घोंसलों में उनके इंतज़ार में छोटे पंछियों की वाणी हृदय छलनी कर जाती है आधे भावों बिकती सब्ज़ी कैसे पड़ी सुस्ताती हे सांझ होते ही माँ की याद आ जाती है

कोलाहल करने लग जाते हैं सन्नाटे

What is mother's love for her child

माँ केवल माँ नही होती,माँ होती है हक़ और अधिकार सहजता ,उल्लास,पर्व है माँ,माँ जीवन को देती है संवार जिजीविषा है माँ,उमंग है माँ,एक माँ ही तो करती है इंतज़ार हर रिश्ते से भारी पड़ता है माँ का रिश्ता,चाहे करो या न करो स्वीकार पतंग है जीवन तो डोर है माँ,सबसे उजली भोर है माँ माँ है तो जाने का बैग भी झट से हो जाता है तैयार अब चिढ़ाता है किसी कोने में पड़ा हुआ,नही होंगे कभी माँ के दीदार मन में तो सदा बसी रहोगी माँ,सच थी कितनी तुम समझदार भांति भांति के मोतियों से बनाया माँ तूने कितना अद्भुत  कितना प्यारा, जीने का सहारा प्रेमहारमाँ केवल माँ नही होती,माँ होती है हक़ और अधिकार सहजता ,उल्लास,पर्व है माँ,माँ जीवन को देती है संवार जिजीविषा है माँ,उमंग है माँ,एक माँ ही तो करती है इंतज़ार हर रिश्ते से भारी पड़ता है माँ का रिश्ता,चाहे करो या न करो स्वीकार पतंग है जीवन तो डोर है माँ,सबसे उजली भोर है माँ माँ है तो जाने का बैग भी झट से हो जाता है तैयार अब चिढ़ाता है किसी कोने में पड़ा हुआ,नही होंगे कभी माँ के दीदार मन में तो सदा बसी रहोगी माँ,सच थी कितनी तुम समझदार भांति भांति के मोतियों से बनाया माँ तूने कितना अद

What is mother's love

पर्व है,उत्सव है,उल्लास है माँ जीवन में सबसे खास है माँ सहजता का पर्याय है माँ सब से अच्छी राय है माँ ग्रीष्म की शीतल फुहार है माँ बसंत की सुंदर बहार है माँ जाड़े की मीठी धूप है माँ जग में सबसे सुंदर रूप है माँ प्रेम है माँ,प्रकाश है माँ बच्चे का अद्भुत विकास है माँ दीवाली है मां,होली है मां इंद्रधनुष है मां,रंगोली है मां गंगा सी पावन,निर्मल मां समेट लेती है सब गुण अवगुण हमारे सच मे कितनी अदभुत होती है मां।। मां ममता का अनहद नाद है मां वात्सल्य का सबसे सुंदर राग है मां एहसासों का सुंदर झरना है मां अपंत्व के तबले पर सामंजस्य की सबसे सुंदर ताल है, यूं ही तो नहीं कहते, मां की ममता कमाल है।।

Why mother is impotant in our life (thought by Sneh premchand)

*There can be no other,like a mother, wheather sister or brother.* Mother is the oxigen of life.            If life is heart,mother is heartbeat.Mother reads our face,our eyes,our heart,our mind,our thinking process every thing.She knows the path of sucess,path of our happiness and path of our bright future. She is the strongest bridge on the river of our life.she is backbone of life's structure.she sacrifices her needs for our comforts.she 0 pp rainbow of seven best colours; Love,care,stamina,hard work,sacrifice,sincere,a true guardian.Mother is umbrella who saves us from rain and rays. Mother is the most valuable lifeline. *जाड़े की गुनगुनी सी धूप है मां सबसे प्यारा,सबसे न्यारा रूप है मां* God is with us in her form.We are blessed if mother is in our life.life dances,smiles and cherish with the love of mother.It is rightly said; एक अक्षर के छोटे से शब्द में, सिमटा हुआ है पूरा जहान। न कोई था,न कोई है,न कोई होगा मां से बढ़ कर कभी महान।। We are reflections of our mother's existe

दोहरे मापदंड

क्या नहीं है मां

जंग

सारे जहां से अच्छा

जय जयकार

प्रेम से बढ़ कर

गहरा नाता

गणतंत्र दिवस

महत्व

अंधे को दीया दिखाना