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करता हूं स्मरण मैं हनुमान का(( भगति भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*करता हूं स्मरण मैं हनुमान का, पूजा श्री राम की हो जाती है* *आराध्य भगत* के नाते की महिमा, ये सारी दुनिया गाती है।। *नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा* *जब जब जपा जाप बजरंगी का, आदि व्याधि सब नष्ट हो जाती हैं* भगत आराध्य के नाते की महिमा ये सारी दुनिया गाती है।। *चारों जुग प्रताप तुम्हारा है प्रसिद्ध जगत उजियारा* हर युग में प्रताप बजरंगी का, बात पते की,  जन जन को समझ में आती है।। करता हूं स्मरण मैं बजरंगी का, पूजा राम की हो जाती है।। *तुम्हरे भजन राम को पावै जन्म जन्म के दुख बिसरावे* तुमको भजने से बजरंगी! *सच में राम मिल जाते हैं* जन्म जन्मांतर के दुख सारे, नहीं नजर फिर आते हैं।  ये बड़ी सी बात मेरी छोटी सी बुद्धि को, अच्छे से समझ में आती है करता हूं स्मरण मैं हनुमान का, पूजा *श्री राम* जी की हो जाती है।। *जय हनुमान ज्ञान गुण सागर जय कपीश तिहूं लोक उजागर* हे हनुमान! * ज्ञान गुण के सागर हैं आप* तीनों लोकों में,  *आपका डंका बजता है* मेरे मन का मंदिर तो  आपके नाम   से सजता है।। *अंजनीपुत्र पवनसुत* की महिमा ये सारी दुनिया गाती है। *करता हूं भजन मैं हनुमान का, पूजा श