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सिंधु लहर सा ये जीवन Thought by Sneh Premchand

सिंधु लहर सा ये जीवन कोई श्वास आए,कोई श्वास जाए। कब है बदल जाता है था में कब ज़िन्दगी मौत की चौखट पर दस्तक दे जाए।। कठपुतली सा है जीवन है डोर किसी और के हाथों में, जाने कब हो ढीली कब कस दी जाए।।         स्नेह प्रेमचन्द