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इसरार thought by snehpremchand

हम बार बार कर रहे इसरार , मत लांघना घर के द्वार। जान है तो जहान है, क्या इस सत्य से कर सकते हो इनकार??? संयम के मंदिर में बजा संकल्प की घण्टी कर लेना मन से स्वीकार क्या ज़रूरत है बाहर जाने की??? जान है तो है समाज देश और परिवार।।         स्नेहप्रेमचंद