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कार thought by snehpremchand

चार पहिए की गाड़ी को कहते हैं कार , लोग खीरे की तरह सीधे नहीं, जलेबी जैसे होते हैं घुमावदार मत नेत्र मूंद उनपर करना एतबार ।।           स्नेहप्रेमचंद