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ना उसने कहा,न मैंने पूछा

न उसने कहा,न मैंने कुछ पूछा, रहा यूँ ही ये सिलसिला जारी। एक दिन ऐसा आया जलजला, माँ के जाने की आ गई बारी।। न उसने समझाया,न मैं खुद कुछ समझा, जान बूझ कर बना रहा अनजान। आज नहीं रहा जब माँ का साया, हुई उसके प्यार की सही पहचान।। न वो कुछ बोली, न मैंने कुछ कहा, भावों के आगे तब भाषा हारी। एक दिन ऐसा आया जलजला, मां के जाने की आ गई बारी।। न उसने कोई हक जताया, न मैंने दिया उसे कोई अधिकार। न चल कर कुछ मांगा उसने, समझा भाग्य,कर लिया स्वीकार।। न बढ़ कर कभी वो आगे आई, न मैंने कभी अपना हाथ बढ़ाया। देख कर भी उसे कर दिया अनदेखा, देखा वही,जो नज़रों को भाया।। आज देखता हूँ जब पीछे मुड़कर, ममता लुटा दी मुझ पर सारी। एक दिन ऐसा आया जलजला, माँ के जाने की आ गई बारी।। न उसने कभी जख्म दिखाए मुझको, न मैं भी कभी मरहम उसके लिए लाया। आज नही जब आहट कहीं भी माँ की, ज़र्रा ज़र्रा लगता हो मुरझाया।। न खोले कभी बंद से लब उसने, न मैंने कभी कुरेदे उसके अहसास। झिझक की चादर ओढ़ ली रिश्ते ने, चाह कर भी नहीं आए पास।। झिझक की चादर,मौन के तकिए, ऐसा बना रिश्ते का बिछौना। नहीं दी सुनाई वहाँ पर लोरी माँ की, न ही मांगा मैंने कोई खिलौना।। क्

माँ अब वो आँचल नही मिलता

माँ अब वो आँचल नही मिलता, माँ अब वो तेरी ममता का पुष्प नही खिलता. जब गाती थी तूँ लोरी, मैं चुपके से आकर तेरे आँचल में सो जाता था. सिमट जाती थी सारी  चितचिंताएँ, मेरा जहांन तेरा आँचल बन जाता था।। माँ अब वो आँचल नही मिलता, जब मैं रो रो कर आंसुओं से तेरे, दुपट्टे को गीला कर देता था।। सुबड़ सुबड़ जब रोता था मैं, तूँ झट सीने से लगा लेती थी, जाने कितनी ही प्यार भरी बलियां पल भर में दे देती थी।। वो कितना पावन निर्मल आँचल था, वो तेरी सौंधी सौंधी महक से सरोबार था, माँ मेरे लिए  तो देवी का दरबार था।। माँ अब वो आँचल नहीं मिलता, तेरी ममता का पुष्प अब किसी चमन में नही खिलता।। खा पीकर जब नही धोता था हाथ मैं मेरे, मलिन हाथों को तेरी ओढ़नी से पोंछा करता था, तूँ ज़रा भी गुस्सा नही होती थी, राजा बेटा कह कर तुम उसे पीला पीला कर लेती थी, तनिक शिकन नही आती थी भाल तेरे मां,बस मेरी बलेंयाँ लेती थी, तूँ किस माटी की बनी थी माँ, जो कहता,झट से दे देती थी।। माँ अब वो आँचल नही मिलता, जब नाक निकलती थी मेरी, तब पल्लू तेरा ही खोजा करता था, पल भर भी न सोचा करती तूँ, मैं मलिन से मलिन तर उसे करता था।। माँ अब वो आँचल नही मिल