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लेखक कहीं नहीं जाते (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 लेखक कहीं नहीं जाते,यहीं रहते हैं सदा, फिजा में विचरण करते रहते हैं उनके विचार। *हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती*  महादेवी वर्मा जी को,आज उनकी जन्म जयंती पर शत शत नमस्कार।। सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्री हिंदी की, आधुनिक मीरा का मिला खिताब। हिंदी साहित्य में छायावाद युग के चार मुख्य स्तंभों में आता है नाम इनका, इनका जीवन अनुभव की किताब।। आजादी से पहले का भी,आजादी के बाद का भी भारत बड़ी पैनी नजर से देखा,देखा समाज के भीतर फैला हाहाकार। रूदन देखा,क्रंदन देखा, करुण होकर की कोशिश हो दूर अंधकार।। इतनी शक्ति थी इनके काव्य में, कर सके जो व्यापक समाज सुधार।। नारी के प्रति चेतना भाव जगा कर, उनकी मन की पीड़ा का किया स्नेह श्रृंगार। जन जन की ऐसी पीड़ा दिखाई, पाठक ही नहीं समीक्षक भी हुए प्रभावित एक नहीं सौ सौ बार।। खड़ी बोली में कोमल शब्दावली का किया विकास। संस्कृत बांग्ला के चुने कोमल शब्द हिंदी का पहनाया जामा अति खास।। लेखन ही नहीं,संगीत की भी थी ये आधुनिक मीरा जानकार। गीतों का नाद सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली भी रही इनकी दमदार।। अध्यापन को अपना कार्य क्षेत्र बनाया शिक्षा क

Writers are always alive-- A tribute to Mannu Bhandari ((thought by Sneh premchand))

कहीं नहीं जाते लेखक,  अमर हो जाते हैं उनके विचार। विचरता रहता है लेखन  उनका कायनात में, एक अलग ही होता है  उनका विविध विहंगम संसार।। हर मर्म शब्दों में पिरो दिया, जाने कितनी ही गहरी अनुभूतियों को हवाल ए इजहार किया, बेबाक लेखिका ने,सामाजिक मुद्दों को अपनी लेखनी से रंग दिया, ऐसी भावों की रंगरेज रही वे, शब्दों और भावों के योग से रच देती थी चमत्कार।। लेखक कहीं नहीं जाते, सच में अमर हो जाते हैं उनके विचार।। अपने समय से आगे की सोच रखी, उसे सुपुर्द ए लेखनी किया, *स्त्री सुबोधिनी* से व्यंगात्मक लेख लिख कर, पुरुष प्रधान समाज को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर किया, लेखक की सबसे बड़ी पूंजी उसका *लेखन* है, इस बात को बखूबी  सबको बता दिया, संवेदनशील लेखिका भले ही आज नहीं हैं मध्य हमारे, पर बड़ा विहंगम है उनका अमर लेखन संसार। *देखा है तो इसे भी देखते* पढ़ कर लगता है, मनोभावों को बखूबी चित्रित करने वाली,  धन्य थीं मन्नू जी कथाकार।। लेखक कहीं नहीं जाते, अमरता का निभाते हैं सुंदर किरदार।। साहित्याकाश में आज अस्त हो गया एक चमकता नक्षत्र, नाम है उसका मन्नू भंडारी। अपने उम्दा लेखन से छू सकती है नभ, आज