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प्रेम परवाह है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*प्रेम परवाह है प्रेम समर्पण है  और प्रेम है पूरा विश्वास* प्रेम से व्यक्ति हो जाता है सुंदर, आम से बन जाता है अति खास।। *प्रेम दोस्ती है,प्रेम ख्याल है* प्रेम है पूर्णता का सुखद आभास प्रेम देना जानता है,लेना नहीं, धनाढ्य है वो सचमुच, है प्रेम निधि जिसके पास।। मोह मोह के धागे तो उलझा देते हैं, प्रेम के धागे तो हर गिरह खोल देते हैं। मोह हमे कमजोर बनाता है, *प्रेम हमारी शक्ति है* मोह के चश्मे से सब साफ नहीं दिखता, *प्रेम से तो जग सुंदर नजर आता है* मोह की सीमाएं हैं, प्रेम किसी सरहद को नहीं जानता चाहे भाषा,मजहब,रंग, जाति,देश,प्रांत कोई भी क्यों ना हो।। यूं हीं महकता रहे सदा ओ प्रेम सुता! तेरा प्रेम भरा संसार। ढाई अक्षर प्रेम के पढ़ कर,जिंदगी हो जाती है गुलजार।।             स्नेह प्रेमचंद