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तूं प्रकाष्ठा प्रेम की

ओ प्रेम सुता! तूं पर्याय प्रेम का, रहा प्रेम ही तेरे हर रिश्ते का आधार। जिंदगी भले ही छोटी रही तेरी, पर रहा प्रेमभरा संसार।।