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मां एक ऐसी किताब है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

माँ एक ऐसी किताब है, जिसका हर पन्ना आसानी से समझ आ जाता है। माँ ऐसी कविता है, जो सब गा सकते हैं। माँ ऐसी कहानी है, जो सबकी जिंदगानी है।। मां एक ऐसा उपन्यास है, जो रोचक ,ममतापूर्ण और भाव प्रधान है।। माँ एक ऐसा पाठ है, जो ज़िन्दगी की  पाठशाला में सबसे पहले पढते है और ताउम्र चलता है। माँ ऐसा साहित्य है, जिसके आदित्य की रोशनी से सारा जग नहाया है। जिसे पूरा संसार पढ़ता है जो हर युग,हर काल मे प्रासंगिक है। यह साहित्य समयातीत है। मां से सुंदर कुछ भी तो नहीं।।