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कुछ नहीं,बहुत कुछ(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कुछ नहीं,बहुत कुछ कह जाती हैं तस्वीर पुरानी। जिंदगी और कुछ भी नहीं,सच है तेरी मेरी कहानी।। झट अतीत की चौखट पर ये दस्तक दे जाती हैं। समय की धूलि से धुंधला जाती हैं जो स्मृतियां, उन्हें झट वापस ले आती हैं। मात्र तस्वीर नहीं,ये दस्तावेज हैं एक गुजरे जमाने का। हस्ताक्षर हैं ये अतीत का, आईना हैं बीते फसाने का।। अपनी शर्तों पर जीया जीवन, जो मन में था वही सदा जुबान पर आया। अपनी ही रो में बहते चले सदा, बेशक किसी को भाया ना भाया।। स्वाभिमान को लगे ना ठेस कभी, ऐसे अपना किरदार निभाया।। जिंदगी नाम है जीने का, इसी जुमले को जीने का आधार बनाया।। सच जिंदगी धूप है तो पिता का होता है शीतल साया।। किसी को जल्दी किसी को देर से, समझ ये सत्य अवश्य ही आया।।              स्नेह प्रेमचंद