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मैं ना भूलूंगी

मैं ना भूलूंगी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मैं न भूलूंगी, मैं न भूलूँगी, वो माँ का प्यार से गले लगाना। चुपके से फिर हाथ पकड़ कर, अपने कमरे में  ले जाना। कुछ प्यार के तोहफे निकाल कर, हसरत भरी नजरों से दिखाना। मैं न भूलूँगी मैं न भूलूंगी, मनपसन्द की रसोई बनाना। झट पट से उसका काम मे लग जाना, बिना शिकायत बिन रंजिश के, अपने चमन को माँ का महकाना। मैं न भूलूंगी मैं न भूलूंगी।। मैं न भूलूंगी मां जाई तेरा हौले हौले मुस्काना मैं न भूलूंगी तेरा साड़ी प्रेम,तेरा संगीत प्रेम,तेरा साहित्य और कला के प्रति रुझान मैं ना भूलूंगी तेरा वो सालासर जाना,वहां पूरी श्रद्धा से सुंदरकांड पढ़ना,अश्रुपूरित तेरा चांद सा मुख मंडल, वो नूर मैं न भूलूंगी।। मैं न भूलूंगी तेरा मेरे लास्ट bday पर वो प्यारा सा केक भेजना,वो मेरे घर का पता पूछना मैं न भूलूंगी तेरा खाने संग मीठा थाली में रखना मैं न भूलूंगी तुझे कभी भी मां जाई।।

कब होते हैं हम तन्हा

कब लौट कर आते हैं thought by Sneh premchand

ऋण

ऋण

कभी नहीं

कभी नहीं आते लौट कर