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घूमर

*घूमर*  पारंपरिक राजस्थानी सामूहिक नृत्य है,जो सहेलियों और परिवार के सदस्यों जैसे बाई सा और भाभी सा के साथ मिल कर किया जाता है। इसे महिलाएं घूंघट निकाल और घाघरा पहन कर करती हैं।। इसकी शुरुआत भील जाति द्वारा मां सरस्वती की पूजा के लिए हुई थी।।1986 में इसे राजस्थान का राज्य नृत्य घोषित किया गया। गणगौर पूजा में इसका विशेष महत्व है।। राजस्थान संस्कृति की सौंधी सौंधी महक लिए होता है घूमर। शादी ब्याह के उत्सव पर विशेष रूप से बहु,बेटियां और सहेलियां इस नृत्य को करती हैं। घूमर मां बेटी के बीच का संवाद है।अति मनोरम और दिल छूने वाला संवाद जब गायन का रूप ले लेता है और संग नृत्य होता है ऐसा घूमर सबका मन मोह लेता है।। *बेटी मां से यह कहती है* 1 हमें घूमर राजस्थानी पारंपरिक नृत्य करने के लिए "काजल और बिंदी* ला दे मां! *हम घूमर करने जाएंगे* हम घूमर करने जाएंगे मां।। 2 हमें राठौड़ों (राजपूतों) की भाषा बहुत अच्छी लगती है मां! हमें राजपूतों की बोली बहुत प्यारी लगती है मां! *हम घूमर करने जाएंगे* हम घूमर करने जाएंगे मां।। 3 हमें "राठौडों की भाषा हीरे जैसी कीमती* लगती है। हमें राठौड़ो