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क्यों नहीं होता ये बहन दूज का पावन त्यौहार( Thought by Sneh premchand)

भाई दूज तो बढ़िया है पर,  क्यों नहीं होता ये बहन दूज का  पावन त्यौहार?? मां के बाद तो है ये सबसे करीबी नाता, न ईर्ष्या, न द्वेष,न क्लेश न विकार।। एक दूजे संग जो बीते हैं लम्हे, होते हैं सुकून का अपार भंडार। ऊर्जा आ जाती है बिन नयोत्ते ही, उल्लास भी आ जाता है मन के द्वार।। एक की खुशी दूजे की खुशी,  न कोई शक,न सुबा,न संशय न अहंकार। कह देती हैं सब एक दूजे से, खोल देती हैं मन के समस्त द्वार।। बहुत कुछ साझा नहीं कर पाते संग भाइयों के, पर बहन के नाते में तो है ही नहीं,  कोई भी हिचक की दीवार।। हर समस्या का समाधान है बहन तो, ऊर्जा उल्लास से भर देते हैं उसके दीदार।। मुझे आज तलक ये नहीं आया समझ में, क्यों नहीं होता बहन दूज का पावन त्यौहार?? बहन में तो साफ साफ अक्स नजर आता है मां का,बहन तो उलझे मन को  दे देती है सही आकार।। मां से भी अधिक लंबा नाता है  संग बहन के, प्रेम ही है इस नाते का आधार।  सुख दुख सान्झे, सानझे अहसास है,एक सी शब्दावली,एक सा ही अक्सर होता व्यवहार।। एक सी कार्यशैली,एक ही चमन की डालियां,बेशक बाद में जुदा जुदा हो जाते हैं परिवार। पर आटे में नमक सी मिल जाती हैं मिलते ही