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बीत गए रे आज 6 मास ((श्रद्धांजलि अंजु कुमार को))

 करबद्ध हम कर रहे, परमपिता से यह अरदास। मिले शांति तेरी दिव्य दिवंगत आत्मा को, है प्रार्थना ही हमारा प्रयास।। माटी मिल गई माटी में, हैं सबके जग में गिनती के श्वास।। कब *है* बदल जाता है *था *में हो ही नहीं पाता विश्वास।। एक प्रार्थना यही ईश्वर से, दें निज चरणों में तुझे वास।। एक दो तीन चार पांच छै,, आज सच तुझे गए हुए,  हो गए पूरे 6 मास। बहुत अच्छे से पता चला है हमें, आम नहीं,सच में थी तूं अति खास।। *हानि धरा की लाभ गगन का* मुझे तो होता है आभास। तूं है नहीं,नहीं होता यकीन, लागे परदेस में कर रही हो वास।। ये कहां की कन्फर्म टिकट कटा ली तूने??? लौटने की नहीं अब होगी कभी आस। ना पासपोर्ट,ना वीजा की जरूरत, ऐसी जगह तूं करने लगी है वास।। कुछ लोग जेहन में ऐसे बस जाते हैं, जैसे बच्चे घर में घुसते ही मां को आवाज लगाते हैं। इस फेरहिस्त में नाम तेरा है बहुत ही ऊपर, मन बुद्धि का सतत करती रही विकास। तेरे जाने का बहुत अच्छे से पता चल रहा है मां जाई, आम नहीं सच थी तूं बड़ी खास।। *हर सांझ है बांझ तुझ बिन भोर भी है उदास उदास* सांझ भी है थकी थकी सी,निशा के भी जैसे निकले हों श्वास।। मित्रों में भी इत्र सी मह