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Showing posts with the label कान्हा

मित्र

मित्र रूप में कान्हा की है संग सुदामा के, बड़ी ही प्यारी ,सबसे न्यारी,अद्भुत कहानी। ऊँच नीच न भेद न जाना अपने सखा को तुरंत पहचाना। कहा द्वारपालों को खोलो किवाड़ था पक्का उनका दोस्ताना।।। आवभगत की ऐसी सुदामा की युग आने वाले भी भूल न पाएंगे। जब भी होगी मित्रता की चर्चा गोविंद सुदामा की कहानी गुनगुनाएंगे।। बिन कहे ही मित्र के हृदय की गोविंद जान गए थे बात।।।। कितना अपनत्व,कितना प्रेम था उस मिलन में भूले भी न भुलाई जाएगी वो मुलाकात। युग आएंगे,युग जाएंगे पर सुदामा कान्हा की दोस्ती भूल न पाएंगे।। प्रेमवचन का तो यही मानना है,आप को क्या लगता है????

प्रकाश पुंज thought by sneh premchand

गहन घटाटोप में प्रभापुंज से चमके थे कान्हा, किया पुनरोदय भारत का,भटके हुओं को राह दिखाई। जब जब हुई थी हानि धर्म की, कारागार में उनके जन्म की  शुभ घड़ी आयी।।          स्नेह प्रेमचंद

युग by sneh premchand

एक व्यक्तित्व ही नहीं,  एक समूचा युग थे कृष्ण, एक मनोविश्लेषक,एकमनोवैज्ञानिक, धर्मज्ञ और राजनेता। तीन स्पष्ट उद्देश्य थे उनके,  सन्त लोगों का भला,बुराइयों का नाश, धर्म की स्थापना , सच मायनो में थे वे एक विजेता।।        स्नेह प्रेमचन्द

दूर चाहे पास

दूर रहो चाहे पास रहो हर पल कान्हा आपका दिल मे अहसास है। तोरी बाँसुरिया की मधुर तान जो, वो मेरे दिल के बहुत पास है। और नही सुनता मुझे कुछ भी जग में ये मोहक तान  सांवरिया, मोरे जीवन की आस है।।