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अहिल्या

भाव सागर (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

बस एक बार वे देदे दरस thought by Sneh premchand

बेशक माधो न आएं, बेशक वो मुरली न सुनाएं, बस एक बार वो दे दे दरस, ओ माधो हम भव सागर से तर जाएं।।           स्नेह प्रेमचंद