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नया साल

कुछ खुशियाँ भी आई,कुछ मलाल भी रहे,जाने लगा देखो ये साल। नववर्ष का आओ करें स्वागत,कुछ करें ऐसा जो बने मिसाल।। समय का पहिया चलता रहता अपनी ही गति से,हम कठपुतली बन कर रह जाते हैं। कभी यहाँ, कभी वहाँ, जीवन की लीला चलाते हैं। हो स्थान परिवर्तन बेशक,पर हृदय परिवर्तन की न चले बयार। चार दिनों की इस ज़िंदगानी में हो इंसा को हर प्राणी से प्यार।। इसी वर्ष हुआ हमारा राजस्थान से हरियाणा को आना। जैसे कोई भूला हुआ लौटा हो अपने घोंसले में,लगा बनाने नया ठिकाना जगह की दूरी कोई खास बात नही,खास बात है जब मनो में दूरी आ जाती है। जलती हुई शमा को आकर जैसे कोई सुनामी बुझाती है। सब रहें प्रेम से,हों सुख दुख सांझे,कटाक्षों की कोई जगह कहीं भी बचे न बाकी। सब खुश रहें,और रहें सलामत,और अधिक की तो चाह भी नही है साकी।। नववर्ष में आओ लें एक संकल्प,कभी किसी का हिया न दुखाएँ। बेशक खुशी न दें पाएं किसी को,पर गम का आगाज़ तो न लाएं।।

मयस्सर

मयस्सर

ज़माना thought by snehpremchand

धन,दौलत,घूमना,फिरना,या अधिकाधिक भौतिक संसाधन इकट्टा करना ,खुशी का नही बन सकता पैमाना। सब अपने हैं,हम सबके हैं, समझ ले इस को ज़माना।           Snehpremchand

मीठे बोल

बड़ों के साथ खुशी साझा करने का  सबसे बढ़िया तरीका है दो समय, मीठे बोल और कुछ प्रेम भरा उपहार, देखो कर देंगे वे दुआओं की बौछार।।         Snehpremchand

रूठा हो गर कोई आपसे

रूठा हो गर कोई आपसे, आज मना लेना उनको, छोड़ अहम की व्यर्थ दीवार। हो सकता है वे जग ही छोड़ जाएं, करते करते आपके मनाने का इंतज़ार।। सक्रांति है एक दूजे को मनाने का त्यौहार, ये गिले शिकवे कुछ साथ नहीं जाएंगे, कर लेना इस सत्य को स्वीकार।। खुशी,शांति,मस्ती आनन्द और दान, ये उपहार हैं सक्रांति के, संग हैं श्रद्धा,प्रेम और मुस्कान।।