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सत में सावित्री(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*सत्य में सावित्री मन्त्रो में गायित्री* *धर्मयुद्ध की गीता रामायण की सीता* *वात्सल्य की मूरत* सबसे प्यारी सी सूरत *सुर में जैसे सरगम दिल में जैसे धड़कन" *रामायण में राघव सी गीता में जैसे माधव सी* *पवन में गति सी दिमाग में मति सी* *तबले में थाप सी गायन में जैसे अलाप सी* *माटी में महक सी चिड़िया में चहक सी* *आंखों में नूर सी हीरों में कोहिनूर सी* *प्रकृति में हरियाली सी पर्वों में दीवाली सी* *सावन में मल्हार सी बागों में बहार सी* *दिनकर में उजियारे सी शांति में गुरुद्वारे सी* *पिता में परवाह सी चकव्यूह में राह सी* *मंदिर में मूरत सी आईने में सूरत सी* *कोयल में कूक सी यादों में हूक सी* *सागर में नीर सी भोजन में खीर सी* *राधा चित में शाम सी जानकी की सोच में राम सी* *फलों में मीठा आम सी कर्मठता में काम सी* *कविता में भाव सी बच्चे में चाव सी*   *मीरा में भगति सी मां काली में शक्ति सी* *संगीत में अनहद नाद सी वृक्षों में जैसे खाद सी* ऐसी ही होती है माँ *है मां की यही एक परिभाषा* पूरब,पश्चिम,उत्तर ,दक्षिण *मा बच्चों के जीवन में  सबसे सुंदर आशा*