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शिक्षक दिवस((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

शिक्षक दिवस को मात्र अक्षरज्ञान देने वाले शिक्षक तक सीमित करना इसके अर्थ के साथ न्यायसंगत नही होगा,ज़िन्दगी में जिसने भी हमे कुछ सिखा दिया,वही हमारा शिक्षक है,हमारे मात पिता, बुजुर्ग,बच्चे,मित्रगण,सहकर्मी,रिश्तेदार कोई भी,जो ज़िन्दगी का पाठ पढ़ा दे,हमारा शिक्षक है,सर्वत्र नज़र दौड़ा कर और आत्ममंथन के बाद प्रेमवचन को तो माँ से बड़ा शिक्षक नज़र नही आता,आप को आता है क्या????

शिक्षक दिवस((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

शिक्षक दिवस को मात्र अक्षरज्ञान देने वाले शिक्षक तक सीमित करना इसके अर्थ के साथ न्यायसंगत नही होगा,ज़िन्दगी में जिसने भी हमे कुछ सिखा दिया,वही हमारा शिक्षक है,हमारे मात पिता, बुजुर्ग,बच्चे,मित्रगण,सहकर्मी,रिश्तेदार कोई भी,जो ज़िन्दगी का पाठ पढ़ा दे,हमारा शिक्षक है,सर्वत्र नज़र दौड़ा कर और आत्ममंथन के बाद प्रेमवचन को तो माँ से बड़ा शिक्षक नज़र नही आता,आप को आता है क्या????