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हौले हौले

मौन

सब्जी नहीं बेबसी

हुनर बोलते हैं

सवालों का जवाब

दरमियान

सजल thought by snehpremchand

नयन सजल , लब हैं,  आज मेरे बिल्कुल खामोश। मन धुआँ धुआँ सा है  बस कहने को ही है होश।। पीड़ा कहार रही अंतर्मन की, मन चाहे सुकून की आगोश।। कुछ चटक गया,कुछ दरक गया चेतना सहम गई,मुस्कान लगी है रोने, चित्त चिंता लेने लगी अंगड़ाई, उदासी की बज रही शहनाई, कुछ यक्ष प्रश्न से निरुतर हैं मन के किसी कोने में, धुआँ धुआँ धूल भरे से ये धुंध कुहासे कुछ खो गया है बहुत कीमती शिथिल चेतना,निष्कर्म मन के हो गए रासे।।               स्नेहप्रेमचंद