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रीढ़ निगम की अभिकर्ता(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अ___भिकर्ता है रीढ़ निगम की, करते हैं सतत अगणित प्रयास हमारा अभिकर्ता हमारी शान है, खास नहीं हैं, ये अति अति खास भि__ न्न भिन्न हालातों से गुजरते रहते हैं कम नहीं होती इनकी इच्छा शक्ति और उल्लास क__ र्म का बजाते हैं सदा शंखनाद *कर्मण्येवाधिकारस्ते*आता है इन्हें रास र__ ण क्षेत्र नहीं छोड़ते कभी अपना,  कुशल योद्धा सा करते हैं सतत  विकास ता__ उम्र ना दिन देखते हैं ना रात देखते हैं,महकते हैं ऐसे जैसे पहुपन में सुवास *रीढ़ निगम की अभिकर्ता हर धूप छांव में करते प्रयास*