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Showing posts from September, 2021

कौन कहता है

कुछ पल

आता है आनंद मुझे

पूरी किताब

जादुई सा

नजर नहीं नजरिया((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

one word is sufficient((Thought by Sneh Premchand))

धरा मन की

सलाम सलाम सलाम

रोज ही विचरण करती है तूं((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जैसे चूल्हे में आग((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

तूं धार थी नदिया की

हिल मिल के रही

दमदार व्यक्तित्व((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

ऐसा था तेरा होना((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

एक ही वृक्ष((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते,कलियाँ,अंकुर और हरी भरी शाखाएँ,विवधता है बेशक बाहरी स्वरूपों में हमारे,पर मन की एकता की मिलती हैं राहें, हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई, हैं सब आपस में भाई  भाई,एक खून है,एक ही तन है,इंसा ने ही है ये जात पात बनाई,वसुधैव कुटुम्बकम की भावना काश की हमने होती अपनाई, फिर ना बनाता जश्न कोई किसी की मौत का,न हमने सरहद समझी होती परायी,जीयो और जीने दो के सिद्धांत की,क्यों नही हमने घर घर अलख जलाई,आतंकवाद का हो जाये  खात्मा,ईद दिवाली हो सब ने संग मनाई,सुसंस्कारों की घुट्टी पीले अब हर इंसा, बदल दे अपनी सोच की राहें, धरा बन जायेगी स्वर्ग फिर बंध,ूअपने लाल को खो कर किसी माँ की नही निकलेंगी आहें,एक ही वृक्ष के हैं हम फल,फूल,पत्ते और हरी भरी शाखाएँ

लम्हा लम्हा

तस्वीर पुरानी

यादगार

दिल है कि मानता नहीं((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

विशेष चला जाता है जब((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

न काम न क्रोध

समय सब घावों का मरहम

एक धड़का सा

जिम्मेदारी सी

सदा रहेगी((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सौ सौ सलाम

दोहरे मापदंड((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

नहीं मिलते दोबारा

कहां नहीं है तूं

पूरी किताब

तूं है नहीं,नहीं होता यकीन

बाज़ औकात((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

बाज़ औकात भावों को नहीं होती अल्फाजों की दरकार। अपने आप झलकता है भावों से प्यार प्यार और सिर्फ प्यार।। कुछ लोग इस जहान में सच में पुष्पों की भांति होते हैं। सदा महकते हैं ऐसे,कभी अपनी आभा नहीं खोते हैं।। इस फेरहिस्त में नाम तेरा लाडो, सबसे ऊपर है शुमार। बाज़ औकात भावों को अल्फाजों की नहीं पड़ती दरकार।। जब जिंदगी परिचय करवा रही होती है अनुभूतियों से, तब से जुड़े होते हैं कुछ खास से नाते। कभी दूरी नहीं आती इनमे बेशक हो जगह की दूरी या कम हों मुलाकातें।। तूं ऐसी ही तो थी मेरी जीजी, करती हूं दिल से स्वीकार।। बाज़ औकात भावों को अल्फाजों की नहीं पड़ती दरकार।।      स्नेह प्रेमचंद

सबसे छोटी

ऐसे शामिल थी जिंदगी में

किसी भी खास अवसर पर((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

करे जिजीविषा जिंदगी का श्रृंगार((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

तूं ही तूं नजर आई((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जज

शनै शनै((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

happy bday

HAPPY BDAY DEAR PAWNI........FOR U ONLY.... PAWAN SE PYARI PAWAN PAVNI,TUMARE JIVAN KI PRERNA HO PREMADHAAR KHUSHION SE BHRA RHE TUMARA DAMAN,MILE SAB APNO KA TUMKO PYAR TUM KLI HO EK AISE UPVAN KI,JHAN HER PAL CHHAAEE RHE BAHAAR BAGBAN KI ANMOL KRITI HO TUM,KHUSH KER JATA H TUMARA DIDAAR CHOTI KI CHOTI HO TUM,HO MITAAS KI EK NAI PRIBHASHA VANI SE JHADTE HEIN PUSHP TUMARE,JIVAN ME LATI HO AASHA BHOR KI SUNEHLI KIRAN HO TUM,HO MADHUR SLONA SUNDER PRABHAT TUM MEHKO ,CHAMKO SDA MUSKURAO,HO PARAMPITA KI SUNDER SOGAA

पावन प्रेम ही

for u dear pavni......pavan prem h jine ka anmol aadhar pyari pavni se h ham sabko pyaar,bin prem h suna ye sansar bin jal jyun reh nhi pati h meen,bin prem jivan h heen prem se sincha gya her rishtey ka podha pa jata h ajab gjab vistaar prem ke aage natmastak hua jata h pura sansaar aaz prem se dete hein ham jo duayein pavni ko,hein vhi janmdin ka sacha uphaar

आज जन्मदिन है जिनका((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

आज जन्मदिन है इनका,आए इनके जीवन मे सदा बहार, मिले खुशी,सफलता,सुख,समृद्धि और मिले हम सब का प्यार, रोहिल्लास और कुमार्स की नन्ही कली तुम,तुमसे घर का आँगन गुलज़ार, करते थे,करते है,करते रहेंगे तुम्हे प्यार हम सब बेशुमार, कबूल करो आज दुआएँ हमारी,देखो दुआओं से भर रहा संसार, देख तुम्हारी मोहिनी सूरत,लगते है सुंदर दीदार, करता है मन करें प्रकट,ऊपरवाले का आभार, आयी जो तुम आँगन में हमारे,समा हो गया गुलज़ार, महकती रहना,चहकती रहना,प्रेम ही जीवन का आधार, समय तो निश्चित रूप से लेगा अँगड़ाई,कभी पनपे न कोमल चित्त में कोई कुविकार, ओ मेरी लाडो बिटिया रानी,खिले ऐसा पौधा मन मे तुम्हारे,जाने जो करुणा,सहयोग,अहिंसा और परोपकार, लेखनी ने तो कह दी दिल की,बस कर लेना इसको स्वीकार।।

प्रेम प्रेम सब करे(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

प्रेम प्रेम सब करें,प्रेम न जाने कोय प्रेमवृक्ष की नन्ही डाली का आज जन्मदिन होय।। प्रेम ही राज है चारु चितवन का, प्रेम से सब कुछ स्नेहमय सा होय।। प्रेमभरी हर बात लगती है आली कितनी सुहानी। पावनी सी बयार बह जाती सर्वत्र है,सब का सुमन होय।। इंदु चमक रहा अनन्त गगन में, जैसे बड़े जोश से कोई परी स्वपन हिंडोले में सोय।। माँ सावित्री की कृपा से, यथार्थ सपनो से आलिंगनबद्ध होय।। आनंद प्रकाश पसार रहा है अपनी लम्बी बाहें, दुआओं का ही स्थान है आज,सो जाएं सब आहें।। हर वो अंजुमन हो जाती है रोशन, जहां दुआएं डाले हों डेरा। हमारी जान की जान वो नन्ही कली, हो पावन तेरे जीवन का हर सवेरा।।       स्नेह प्रेमचंद

सबसे अच्छे मूढ़ में रहा होगा भगवान(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

आज ही के दिन((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))