कण कण में व्याप्त है ईश्वर, एक ही घर है पूरा संसार। यही सार नानक उपदेश का, बसे,सबके दिल में तारणहार।। *नाम जपो, किरत करो,वंड छको* कर्म से जुड़ी ये तीन बड़ी शिक्षा नानक की,सिख धर्म का मूल आधार। कर्म में श्रेष्ठता हो,मन मजबूत हो, कर्म हमारे हों ईमानदार। ऐसा करने से बढ़ेगी एकाग्रता और आएगा करना परोपकार। कण कण में व्याप्त हैं ईश्वर, एक ही घर है पूरा संसार।। यही उद्देश्य नानक जीवन का *एक ओंकार*से हो साक्षात्कार। सबसे बड़ी सीख ये उनकी, हर व्यक्ति, हर दिशा, हर जगह, ईश्वर का नजर आएगा आकार।। *सोचै सोचि न होवई जो सोची लखवार। चुपै चुपि न होवई जो लाई रहालिवतार* सोचने से नहीं जान सकते रहस्य ईश्वर का, जपो नाम ईश्वर का बार बार।। बार बार दोहराओ इसको, ऐसा कह गए तारणहार। दो तरीके हैं इसके भी, जो चाहे कर लो स्वीकार। पवित्र संतों की मंडली में रह कर करो जाप चाहे, या करो एकांत में एकाग्रचित होकर आध्यात्मिक मानसिक शक्ति का मिल जाएगा उपहार। शारीरिक रूप से चुप हो जाने से कभी नहीं होता कुछ मन के होने चाहिए शुभ विचार। आंतरिक शांति और ठहराव इस तरह नहीं मिला करता,सत्य को करो शुमार।। कण कण में व्याप्त