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युगों युगों के बाद भी

हरियाली तीज (( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मेंहदी,झूला,गीत,चूड़ियां, महिलाओं के सोलह श्रृंगार। आस्था,प्रेम और सौंदर्य का  हरियाली तीज, पावन त्यौहार।। भगवान शिव, मां पार्वती के पुनर्मिलन की याद में,  बनता है ये पावन त्योहार।। विवाहित नारियां पति की  दीर्घआयु के लिए करती हैं व्रत और सोलह श्रृंगार। मनोवांछित वर की प्राप्ति  के लिए व्रत करती हैं कन्याएं मान्यतानुसार।। मेंहदी,झूला,गीत,चूड़ियां, महिलाओं के सोलह श्रृंगार।। आस्था,प्रेम और सौंदर्य का हरियाली तीज पावन त्योहार।। व्रत रख महिलाएं करती हैं  शिव पार्वती पूजा षोडशोपचार।। पहन धानी लहरिया और चुनरिया, लोक गीतों से समा कर देती हैं गुलजार।।  झूले पड़ते हैं सावन के इस दिन झूल झूल महिलाएं करती हैं खुशियों के दीदार।। तन आह्लादित,चित प्रफुल्लित, हो जाता प्रेम भरा संसार। जर्रा जर्रा बूटा बूटा प्रकृति का हो जाता उज्जवल सा और गुलजार।। अनेक जगह पर लगते हैं मेले  संग जोश,आस्था,उत्सव,उल्लास। मां पार्वती की निकलती है सवारी बड़ी धूम धाम से,चित में जैसे उमंगों का वास। पूजा दौरान कथा सुनना है अति जरूरी,मंगल कामना की होती है आस।। मां पार्वती द्वारा भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए

राखी thought by snehpremchand

देखो आने वाली है राखी भाई बहन के प्रेम का पावन त्योहार। लड़ते हैं, झगड़ते है,पर अब पहले से एक नही होते हैं, ये कैसी अजब सी चली बयार ।।