Skip to main content

Posts

Showing posts with the label दूर कहीं

सागर किनारे

चलो

ज्यादा ही

चल रे कागा

हो रहा आगाज़

कोई न कोई फसाना

क्षितिज

लालिमा thought by sneh premchand

पश्चिम में दूर कहीं जब लालिमा आदित्य की सिंधु का आलिंगन  कर लेती है। ज़मी आसमा के मधुर मिलन पर ,मानो प्रकृति भी दुआएं देती है।  ऐसा नयनाभिराम दृश्य मन को भीतर से मोह लेता है। जाने कितने  अनकहे संदेसे,ये आदित्य हमारे साहित्य को दे देता है।।