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POEM ON MOTHERS DAY (जिस गांव में बड़े प्रेम से रहते हैं विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*स्नेह,समर्पण,सहयोग सुरक्षा* जिस गांव में बड़े प्रेम से रहते हैं मेरी नजर में तो बस एक जगह है *उसे मां की ठंडी छांव ही कहते हैं* *संयम,संतोष,सौंदर्य,सहजता* जहां चारों का है पूरा अधिकार एक मात्र जगह वो जहां में* *सिर्फ और सिर्फ मां का प्यार* *समझ,प्रेरणा,साथ,विश्वास* सबको है जहां सच्ची आस तूं भी जाने मैं भी जानूं* *जहां होता है मां का वास* 🌞 Sun, shadow winter rain हर मौसम में होता जहां gain *मां के आंचल की ठंडी छाया  सोच को बस यही समझ में आया* *एकांत,महफिल,विश्व,समाज* एक छत्र जिसका होता राज तूं भी जाने मैं भी जानूं* *मां कंठ तो हम आवाज* *दिल,दिमाग,चित,चेतना* बिन कहे जो पढ़ लेती है वेदना *जग में होती वो महतारी जान गई ये दुनिया सारी* *गीता,बाइबल,वेद,कुरान* इनसे उपर मां है महान *भले ही हो ना अक्षर ज्ञान पढ़ लेती है मनोविज्ञान* *अंबर,धरा,चांद,आफताब* मां से सुंदर नहीं कोई किताब मातृप्रेम का तो ईश्वर भी, आज तलक नहीं लगा पाए हिसाब *ग्रीष्म,पतझड़,शिशिर,बसंत* हर रुत में मां का प्रेम अनंत मां वात्सल्य की अद्भुत बारह खडी, *मां सा नहीं होगा कोई भी संत* *स्वर,व्यंजन,भाव,अलंकार* मां जीव