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अहसास(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

कब है बदल जाता है था में हो ही नही पाता अहसास ये कब,क्यों,कैसे हुआ लगाते ही रह जाते हैं कयास वो बैठ जाते है फ्रेम में कुछ ऐसे फिर लौट कर नही आते पास मा बाप नही मिलते जग में दोबारा होता है उनके सानिध्य में जन्नत का वास नही आता समझ समय रहते चुग जाती है खेत चिड़िया देर से होता है आभास

अहसास