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सुपुर्द ए खाक

अंतोत गत्वा हो हमे हो ही जाना है सुपुर्दे खाक, बेहतर है हम रखें अपनी रूह को पाक, आत्मा मिल जाएगी परमात्मा से, तन की  हो जाएगी राख।