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प्रेम ना जाने मजहब कोई(( दुआ बुआ स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*प्रेम ना जाने मजहब कोई, जाने ना प्रेम कोई  जाति,भाषा, देस की दीवार* *प्रेम तो दस्तक है दिल की  दिल पर, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार* *एक दुआ है ईश्वर से आज जीवन में मिलें खुशियां अपार* *प्रेम चमन में अंकुर प्रेम के ही उगते हैं प्रेम से सुंदर हो जाता है संसार* *आज जन्मदिन पर आपके देता है दिल यही उपहार* *मतभेद बेशक हो जाए पर मनभेद ना हो कभी, आए ना चित में कोई विकार* *प्रेम से पहले आता सम्मान है हो ना रेखा ये कभी पार*  GOD BLESS YOU DEAR