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सात रंग इंदरधुष के मां ((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

इंद्रधनुष के सात रंग है माँ रंगोली के सुंदर रंग है माँ तरुवर की शीतल छैया है माँ हलधर का इकलौता हल है माँ बरखा की बूंदें है माँ सूरज की किरणें  है माँ चाँद की शीतलता है माँ तारों की चमक है माँ मुरलीधर की मुरली है माँ आठ सिद्धि नौ निधि है माँ दिल की धडकन है माँ संगीत की सरगम है माँ आँख का नूर है माँ किताब के हर्फ़ है माँ कूलर का पानी है माँ फ्रीज़ की बर्फ है माँ कृष्ण की गीता है माँ रामायण की सीता है माँ प्रकृति की हरियाली है माँ जीवन मे सबसे निराली है माँ पंछी के पंख है माँ मन्दिर का शंख है माँ गिरिजाघर की बाइबल है माँ मस्जिद की कुरान है माँ गुरुद्वारे का ग्रंथ है माँ मन्दिर का पुजारी है माँ माला का मोती है माँ दीप की ज्योति है माँ चमन का सुमन है माँ महफ़िल की रौनक है माँ सहजता का पर्याय है माँ सबसे सुंदर राय है माँ लाड़,प्रेम,मनुहार है मां वात्सल्य का सच्चा श्रृंगार है मां कर्म का अनहद नाद है मां अनुभूति का सागर है मां अभिव्यक्ति की गागर है मां एक मां की कमी नहीं पूरा कर सकता ये पूरा जहान यूं ही तो नहीं कहा जाता मां को दुनिया में सबसे अधिक महान।।      स्नेह प्रेम चंद