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मासूम सा बचपन(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

होता है मासूम सा बचपन, बचपन की हर बात निराली। बचपन रहता है ताउम्र संग हमारे, चाहे आएं कितनी ही होली और दीवाली।।            स्नेह प्रेमचंद