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क्या लिखूं

साथ नहीं देते अल्फाज

साथ नहीं देते अल्फाज

अल्फाज

अल्फाज

ज़िन्दगी की किताब

ज़िन्दगी की किताब के,कुछ इतने मधुर होते हैं अल्फाज। झंकृत हो जाते हैं तार मन के,प्रेम का  बजने लगता है साज।। जिस्म रूह हो जाते हैं एकाकार, अहसास खुद ही बोलने लगते हैं  बिन आवाज़।।           स्नेह प्रेमचंद

मैं रहूं न रहूं by sneh premchand

मैं रहूं न रहूं