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Showing posts from December, 2021

साल बेशक नया हो

सबसे सुंदर साल

पल आते हैं पल जाते हैं

पल आते हैं,पल जाते हैं यादों के बाकी रह जाते है निशान। चलता रहता है कारवां ज़िन्दगी का जूझता रहता है इस सफर में इंसान। एक दिन हो जाता है ये सफर पूरा आत्मा बदल लेती है तन  का परिधान। जग से बेशक चले जाते हैं जाने वाले, पर जेहन और जिक्र में रहते हैं उनके निशान।। ये 2021ले गया बहुत ही खास को, जख्मी सा दिल,सिसकते से अरमान। हानि धरा की,लाभ गगन का, सूना सा लगने लगा हो जैसे जहान।। सजल हैं नयन,अवरुद्ध है कंठ, चित है जैसे हैरान और परेशान।। पल आते हैं,पल जाते हैं यादों के रह जाते हैं निशान।।         स्नेह प्रेमचंद

ऐसा हो ये नया साल(( Thought about New Year by Sneh premchand))

कांटे अधिक थे

पॉलिथीन मुक्त

कांटों की जगह

कोई समझा नहीं

कोई समझा नहीं

बीती यादों को

जमापूंजी

धीरे धीरे

इंतजार

कभी न रोना

उपलब्धि

happy new year

पॉलिथीन मुक्त

दस्तक

समय की दहलीज पर दे रहा है दस्तक साल 2021 आओ करे स्वागत,हो खुशियों का आशाओं से मिलाप,  झड़े कुछ पत्ते पुराने,खिली कुछ कोपलें नयी,कभी उदासी और कभी उल्लास, एक ही हो नारा नये वर्ष में,सबकी मुस्कुराहट सबका विकास।।

लो दिसंबर के जीने से

लो दिसम्बर से जीने से उतर कर आखिरी सीढी पर आ ही गया 2021,और जनवरी की सीढ़ी चढ़नेको 2022 खड़ा है तैयार। चंद लम्हो की ही तो और बात है,हों हम सब ऊपरवाले के शुक्रगुजार। शिकवे,शिकायत की अब जलाकर होली,शुक्रिया की दीवाली का करें आगाज़। प्रेम से बीते सब का ये नववर्ष,ईर्ष्या,द्वेष का बजे न साज।।

पता साहिल का

कल से नहीं,आज से नहीं,अभी से(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कल से नहीं,आज से नहीं,अभी इसी क्षण से, हम सब को एक मुहिम चलानी है। धरती माता और गौ माता दोनो ही हमें बचानी हैं।। अपनी प्यारी हिसार नगरी पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। बहुत सो चुके अब तो जाग लें, जागरूकता की सर्वत्र बयार चलानी है। सोच,कर्म,परिणाम की सर्वत्र त्रिवेणी बहानी है।। अपनी प्यारी हिसार नगरी पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। स्वच्छता हो हर आंगन, गली,कूचे,गलियारे में, धरा अपनी भी बंजर नहीं बनानी है। गौ माता भी ना खाए पॉलिथीन कहीं अब, अपनी संस्कृति भी हमे बचानी है।। कल से नहीं,आज से नहीं,अभी इसी क्षण से एक मुहिम चलानी है।। आओ आज से नहीं,  अभी से करे पॉलिथीन का बहिष्कार। कपड़े का थैला हो शान हमारी, इसे संग रखना हो हमे स्वीकार।। कल से नहीं,आज से नहीं,अभी से यह मुहिम चलानी है। अपनी प्यारी हिसार नगरी हमे पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। *अहम से वयम* की सोच  हर सोए चित में लानी है।। प्राथमिकताओं की फेरहिस्त में  *गौ माता और धरती माता*  दोनो ही सबसे ऊपर सजानी हैं। अपनी प्यारी हिसार नगरी पॉलिथीन मुक्त बनानी है।। मजबूरन नहीं, स्वेच्छा से यह सोच चित में बसानी है। घर से बाहर जाते हुए हो सं

धिक धिक

is it

कितनी प्यारी,कितनी अच्छी

हर चित्र कुछ कहता है

वाह चित्रकार

मां से खूबसूरत अहसास

जिक्र और जेहन से

खूबसूरत अहसास

उठो द्रोपदी वस्त्र संभालो

एक ही प्रेम चमन की चारों डाली

धरा का सफर खत्म

बहुत सोचता हूं

हुई शाम उनका ख्याल आ गया

हो ही नहीं सकता

हर चित्र कुछ कहता है

चलते हैं सब मगर

सच में कैसा है ये सफर

सफर जिंदगी का

कान्हा से मिला दे

फिर आई वो याद पुरानी

बहुत कुछ बोलते हैं नयन

यादों के बादल

इतना तो याद है मुझे

बहुत ही गहरा नाता

मां बच्चे का इस जग में,है बहुत ही गहरा नाता। बस बड़े प्रेम से,हो इसको निभाना आता।।

कितना अच्छा होता