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चंद लम्हों में कैसे कह दूं???((लेखनी स्नेह प्रेमचंद की))

चंद लम्हों में कैसे कह दूं???? चंद लम्हों में कैसे कह दूं???  मैं 75 बरस की लंबी कहानी। धूप,छांव सी रही जिंदगी, शांत, गहरी जैसे सागर का पानी।। *मां बाबुल की लाडली मैं* तीनों बहनों में बड़ी सुहानी। निरुपमा,बेबी दो बहनें मेरी, संग बीता बचपन यही मेरी कहानी।। बड़े लाड चाव से खेली उस अंगना, जेहन मे आज तलक बचपन की निशानी।। एक दिन बन उड़ी चिरैया, और बनी साजन की रानी।। अलग परिवेश,अलग परवरिश पर घुल गई ऐसे जैसे शक्कर पानी। सपने बुनते बुनते कब वक्त के लम्हे उधड़ते गए,पता ही नहीं चला,देखा पीछे मुड़ कर आई नजर 75 बरसों की जैसे कोई कहानी।। मनोविज्ञान पढ़, पढ़ लिए मन मैने, मुस्कान लबों पर बड़ी पुरानी।। मैं मन की डॉक्टर, घर के सारे बने डॉक्टर जिस्मानी।। *बहुत जेंटल है अमित की मां* अक्सर कहती थी *मेरे बच्चों की नानी* चंद लफ्जों में कैसे कह दूं मैं 75 बरसों की लंबी कहानी।। असमय ही बाबुल गए छोड़ कर, लाभ गगन का,हुई धरा की हानि। करती रही अपने कर्तव्य कर्म सदा मैं, खामोशी से सही परेशानी।।। समय ने जाने क्यों सिखा दिया था मुझको,  किसी हाल